
कश्मीर समस्या तथा इतिहास
कश्मीर समस्या तथा इतिहास
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जम्मू कश्मीर का झंडा |
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कश्मीर का मानचित्र |
जम्मू - कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग है, जो कि भारत की विरासत है। इसके इतिहास को जानने के लिए इसको दो भागों में बांटा जा सकता है, पहला स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले का इतिहास, दूसरा स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद का इतिहास।
स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले -
इतिहास में दर्ज अभिलेखों के अनुसार कश्मीर सर्वप्रथम मौर्य साम्राज्य का हिस्सा था। जिसके पश्चात् इसमें कुशान का शासन रहा, जो बौद्ध अनुयायी थे तथा कश्मीर को बुद्ध की शिक्षाओं का केंद्र बनाया गया। 5 वीं सदी से 14 वीं सदी तक इसमें पुनः हिन्दू साम्राज्य स्थापित हुआ उसी काल में मार्तण्ड सूर्य मंदिर का निर्माण किया गया। 14 वीं सदी में शाह मीर कश्मीर का पहला मुस्लिम शासक बना तथा 16 वीं सदी तक कश्मीर में मुस्लिम साम्राज्य रहा, 16 वीं सदी में मुगलो के आक्रमण के पश्चात वहाँ मुगलो का शासन रहा जिसकी समाप्ति अफगानी शासन के साथ हुई, राजा रंजीत सिंह के आक्रमण के पश्चात वहाँ सिक्खो का शासन रहा जो कि आंग्ल-सिक्ख युद्ध के पश्चात डोगरा साम्राज्य के पास चला गया, इसके लिए उन्होंने अंग्रेजो को बड़ी कीमतों का भुगतान किया।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद -
स्वतंत्रता प्राप्ति के समय कश्मीर में राजा हरि सिंह का शासन था तथा जब भारत तथा पाकिस्तान दो देश बने, कश्मीर को अधिकार था कि वो या तो स्वतंत्र रहे या फिर किसी एक देश के साथ मिल जाए, परन्तु राजा हरि सिंह ने स्वतंत्र रहने का निर्णय लिया वो कश्मीर को एशिया का स्विट्ज़रलैंड बनाना चाहते थे। शेख अब्दुल्ला जो कि जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता तथा संस्थापक थे वो चाहते थे कि वहाँ प्रजातंत हो।
जिन्नाह जिनका मानना था कि भारत तथा पाकिस्तान सिर्फ हिन्दू मुस्लिम के आधार पर बने है और कश्मीर में मुस्लिम आबादी 77% है वो भी पाकिस्तान में मिल जाए। इससे मुक्ति पाने के लिए हरि सिंह ने पाकिस्तान के साथ स्टैंड स्टिल समझौता किया, यह समझौता वह भारत के साथ भी करना चाहते थे परन्तु कुछ घटनाएं हुई जिसने कश्मीर का इतिहास बदल कर रख दिया।
- पुँछ में कुछ लोग जो कि सेना में रह चुके थे उन्होंने कश्मीर की पुलिस और सेना के खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया।
- साम्प्रदायिक दंगे उस समय अपने उग्र रूप में थे, तथा जम्मू में मुस्लिमो के खिलाफ दंगे भड़कने लगे तथा वहां के मुस्लिम पाकिस्तान जाने लगे।
- पाकिस्तान के आदिवासी पस्तून योद्धाओ ने कश्मीर घाटी पर हमला कर दिया।
जिससे शुरवात हुई पहले कश्मीर युद्ध 1947-1948 की। यह पहला युद्ध था जो इतनी ऊंचाई में हुआ इसमें भारतीय सैनिको ने पाकिस्तानी को कश्मीर घाटी तक खदेड़ कर रख दिया।जनवरी 1948 को भारत यूनाइटेड नेशन पहुंच गया और जो सेना जहां थी उसे वही पर रोक दिया गया। यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी कॉउंसिल में एक प्रस्ताव पारित हुआ (रेसुलेशन 47 ऑफ़ यूएनएससी ) जिसमें 3 सर्ते रखी गयी जो एक दुसरे पर निर्भर थी अर्थात बाकी 2 शर्ते तभी मानी जाएंगी जब उससे पहले की शर्त अमल में लायी जायेगी ।
- पाकिस्तान को कश्मीर से हटना होगा।
- भारत सिर्फ उतनी ही सेना रखेगा जितनी कि नियत रूप से रखी जाती है बाकि की सेना वहां से हटा दी जायेगी।
- वहां के लोगो की इच्छा पर कश्मीर की रूप रेखा तय की जायेगी।
जम्मू और कश्मीर में सन 1948 में शेख अब्दुल्ला को मुख्यमंत्री (उस समय प्रधानमंत्री कहा जाता था) बनाया गया। और शेख अब्दुल्लाह और स्वामी अय्यंगर ने मिलकर आर्टिकल 370 को ड्राफ्ट किया, जिसके लिए बल्लभ भाई पटेल तथा डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर ने संविधान में लेने के लिए मना कर दिया परन्तु उसे बाद में संविधान में जोड़ दिया गया।
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